छत्तीसगढ़ न्यूज़ डेस्क, शवघाट और पचरी घाट बैराज निर्माण में लगाए जा रहे लोहे के गेट अमानत स्तर के हैं. टेंडर वेट के गेट की जगह ठेकेदार ने अंडरवेट का उपयोग किया है. बैराज में स्लैब की ढलाई में ब्रांडेड कंपनी की छड़ की जगह स्तरहीन छड़ का उपयोग करने की गफलत पकड़ी जाने के बाद बैराज में दूसरी बड़ी गफलत गेट लगाने में की जा रही है.दोनों बैराज में लगाए जाने वाले गेट का निर्माण ठेका कंपनी ने पचरीघाट बैराज के पास ही किया है.
गेट निर्माण में लगने वाले लोहे को ठेका शर्त के अनुसार सेल, टाटा, जिंदल या श्याम स्टील कंपनी के लोहे से बनाया जाना है, लेकिन ठेकेदार ने गेट के निर्माण में इस नियम को दरकिनार कर दिया है. बैराज में लगाए गए गेट में जिस लोहे का उपयोग हुआ है वह परत दर परत उखड़ने लगरी है. यही हाल बैराज में लगाने के लिए बनाकर रखे गए गेट का है. उसकी परते भी लगाने से पहले निकलने लगी है. गेट को देखने से यह स्पष्ट है कि इसके निर्माण में स्क्रैप लोहे या लोकल स्तर के लोहे का उपयोग हुआ है.
गेट की जांच का काम विद्युत यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का है.
अजय सोमावार, सीईई हसदेव कछार परियोजना
मैं दूसरे काम में व्यस्त हूं इस संबंध में बात नहीं कर सकता.
दिनेश सिंह, ईई विद्युत यांत्रिकी विभाग
बिना वजन तौले ही लगाए जा रहे गेट
नियम के तहत बैराज में लगने वाले गेट को विद्युत यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच करने और इसका वजन कराने के बाद मानक स्तर का होने पर ही बैराज में लगाए जाने की अनुमति देना होता है, लेकिन बैराज निर्माण से लेकर गेट लगाने तक का काम सिंचाई विभाग के अधिकारियों के बिना जांच पड़ताल और विद्युत यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों के बिना वजन नापने और जांच करने के चल रहा है.
बिलासपुर न्यूज़ डेस्क !!!