Baisakhi 2023: भारत देश में 12 महीने कोई ना कोई त्योहार चलते ही रहते हैं। हिंदू धर्म में हर त्योहार व दिन का खास महत्व होता है और बैसाखी की बात करें तो यह खासतौर पर किसानों का पर्व है। यह पर्व दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है और इस दिन रौनक देखने लायक होती है। कहते हैं कि बैसाखी का पर्व खुशहाली और समृद्धि का पर्व होता है। इस साल बैसाखी का पर्व 14 मार्च 2023 को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं बैसाखी का महत्व और इसका इतिहास।
बैसाखी का इतिहास
बैसाखी का पर्व कई मायनों में खास है। ऐसा माना जाता है कि बैसाखी के दिन ही गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने साल 1699 में बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंत की नींव रखी थी। बैसाखी प्रमुख कृषि पर्व है। इस दिन फसल पक कर तैयार होती है. चारों और खुशी का माहौल होता है। फसल पकने के इस पर्व को असम में भी मनाया जाता है. वहां इसे बिहू कहा जाता है। बंगाल में भी इसे पोइला बैसाख कहते हैं। इस दिन सूर्य देव मीन राशि से निकलर मेष राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
बैसाखी का महत्व
हिंदू भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं. मान्यता है कि हजारों सालों पहले गंगा इसी दिन धरती पर अवतरित हुईं थीं। इसी कारण बैसाखी पर स्नान-दान का विशेष महत्व माना गया है. बैसाखी के दिन लोग नाचते-गाते हैं, पकी फसल काटी जाती है. पंजाब में गुरुद्वारों को सजाया जाता है। भजन-कीर्तन होते