दोस्तो अगर आप भी इस पावन महीने में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं तो घर से निकलने से पहले, उन मंदिरों के नियम-कानून भी जान लेना जरूरी है। अक्सर देखा जाता है कि लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन दर्शन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में मंदिर में प्रवेश करने का नियम सभी को जानना जरूरी है। तो आइये जानते हैं भगवान शिव 12 पवित्र स्थान पर प्रवेश के नियम
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं, इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है। शिवपुराण के अनुसार, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी।
प्रवेश के नियम- अन्य प्रमुख मंदिरों की तरह की सोमनाथ मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं, श्रद्धालुओं को इनसे गुजरना आवश्यक है। इसके अलावा गर्भगृह में पुजारियों के अतिरिक्त किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु सामने के कॉरिडोर से भगवान के दर्शन करते हैं और वहीं से जल भी चढ़ाते हैं। इसके लिए सामने के कक्ष में एक बड़ा पात्र है, जिसे गर्भगृह से जोड़ा गया है। इस पात्र में जल अर्पित करने से वह सीधा शिवलिंग तक पहुंच जाता है। यहां आने वाले अधिकांश श्रद्धालु हिन्दू होते हैं, सीधे तौर पर गैर-हिंदू श्रद्धालुओं को प्रवेश का अधिकार प्राप्त नहीं है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में गैर-हिंदुओं को जनरल मैनेजर ऑफिस से संपर्क कर प्रवेश की अनुमति लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलेगा
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ( mallikarjun jyotirlinga )
यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
प्रवेश के नियम- मल्लिकार्जुन मंदिर में भी श्रद्धालुओं को सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। इसके बाद श्रद्धालु भीतर प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर का गर्भगृह काफी छोटा है, इसलिए एक समय में अधिक भक्त यहां नहीं जा सकते। आरती के समय भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है। यहां पर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर ही मंदिर में प्रवेश मिलता है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैन में रहने वाले लोगों की मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
प्रवेश के नियम- महाकाल मंदिर में एक दिन में पांच बार भोलेनाथ की आरती होती है। आरती के समय भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है। सामने बने दो हॉल में बैठकर श्रद्धालु आरती में शामिल हो सकते हैं। यहां पर होने वाली भस्मारती जो कि सुबह सूर्योदय से पूर्व होती है, के लिए भक्तों को साड़ी-शोला धारण करना होता है। महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए शोला यानि कि धोती अनिवार्य है। साड़ी और धोती के अतिरिक्त किसी अन्य वस्त्र को धारण करने वाले व्यक्तियों को आरती में शामिल होना वर्जित है। बाकी आरतियों में श्रद्धालु सामान्य वस्त्रों में शामिल हो सकते हैं।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
प्रवेश के नियम- अन्य सभी 11 ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में शिवलिंग या प्रतिमा के ठीक सामने नंदी की प्रतिमा स्थापित है, लेकिन ओंकारेश्वर मंदिर में नंदी के ठीक सामने दीवार है जबकि ज्योतिर्लिंग की मान्यता वाले शिवलिंग मंदिर के एक कोने में स्थापित है। गर्भगृह में श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं लेकिन शिवलिंग को छूना मना है। शिवलिंग के चारो तरफ कांच लगा हुआ है। दरअसल, क्षरण की आशंका के चलते शिवलिंग को कांच से बंद कर दिया गया है। यहां पर भक्त सामान्य वस्त्रों में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन चमड़े से बना हुआ कोई भी सामान ले जाना वर्जित है