Copy the meta-tag below & paste it into the section of your sites homepage.
HomeUncategorizedसुअर की त्वचा से तैयार किया "कॉर्निया 'इम्प्लांट" 20 मरीजों की लौटी...

सुअर की त्वचा से तैयार किया “कॉर्निया ‘इम्प्लांट” 20 मरीजों की लौटी आखों की रोशनी, जानिये कैसे?

अनुसंधानकर्ताओं (Researchers) ने सुअर (Pig) की त्वचा से तैयार कॉर्निया (Cornea) ‘इम्प्लांट’ से भारत (India) और ईरान (Iran) के 20 मरीजों के आंखों का दृष्टि लौटाने में सफलता प्राप्त की है.

अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं के एक दल‍ ने मरीजों में मानव डोनर से प्राप्त कॉर्निया की जगह सुअर की त्वचा से तैयार कॉर्निया ‘इम्प्लांट’ प्रतिरोपित किया. इस दल में एम्स दिल्ली के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे. अनुसंधान दल से जुड़े स्वीडन स्थित लिनकोपिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नील लगाली ने कहा, “नतीजे दर्शाते हैं कि एक ऐसी जैविक सामग्री को विकसित करना मुमकिन है, जो मनुष्यों में प्रतिरोप‍ण से जुड़े सभी मापदंडों पर खरी उतरती है जिसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है और जिसे दो साल तक सहेजकर रखा जा सकता है. इस तरह दृष्टि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे अधिक लोगों की सहायता करना संभव है”

लगाली के अनुसार, यह अनुसंधान प्रतिरोपण के लिए कॉर्निया के ऊतकों की कमी की समस्या से निपटने और आंखों के अन्य रोगों का उपचार विकसित करने में सहायक साबित होगा. अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, दुनियाभर में अनुमानित 1.27 करोड़ लोग कॉर्निया में विकार आने या उसके नष्ट होने के चलते दृष्टीहीनता के शिकार हैं. कॉर्निया प्रतिरोपण की बाट जोह रहे ज्यादातर रोगी निम्न या मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं जहां उपचार तक पहुंच बहुत सीमित है.

सुअर की त्वचा से कोलाजन के अणुओं का उपयोग किया

कॉर्निया में मुख्य रूप से प्रोटीन कोलाजन पाया जाता है. मानव कॉर्निया का विकल्प तैयार करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने सुअर की त्वचा से प्राप्त कोलाजन के अणुओं का उपयोग किया. इन अणुओं को अति कठिन परिस्थितियों में उच्च शुद्धीकरण की प्रक्रिया से गुजारा गया था. अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, सुअर की त्वचा खाद्य उद्योग का एक सह-उत्पाद है, जिसके चलते यह ज्यादा महंगी नहीं होती और इसे प्राप्त करना भी सरल है.

उन्होंने बताया कि मानव डोनर से प्राप्त कॉर्निया का जहां दो सप्ताह के भीतर इस्तेमाल हो जाना चाहिए, वहीं सुअर की त्वचा से तैयार कॉर्निया को दो वर्ष तक सहेजकर रखा जा सकता है. पायलट परीक्षण में केराटोकोनस के कारण आंखों का प्रकाश गंवा चुके या रोशनी खोने की कगार पर पहुंचे 20 रोगियों में सुअर की त्वचा से तैयार कॉर्निया ‘इम्प्लांट’ प्रतिरोपित किया गया. इनमें से 12 रोगी ईरान और आठ भारत के थे.

लौट आई आखों की रोशनी

अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया कि सर्जरी में कोई जटिलता सामने नहीं आई, शरीर बाहरी ऊतकों को शीघ्र स्वीकार करने लगा और महज आठ सप्ताह तक प्रतिरोधक क्रिया को दबाने वाली ‘आई-ड्रॉप’ डालने से ‘इम्प्लांट’ के खारिज होने का खतरा टल गया. अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, प्रतिरोपण के दो साल के भीतर सभी प्रतिभागियों की दृष्टि लौट आई. यही नहीं, ऑपरेशन से पहले जो तीन भारतीय रोगी देखने में असमर्थ थे, उनकी दृष्टि एकदम ठीक (20/20) हो गई.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments