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शायद आप नहीं जानते होंगे भारतीय तिरंगें से जुड़े ये 10 जरुरी फेक्ट

दोस्तों तिरंगा शब्द जुबाान पर आते ही हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है , मगर क्या आप इस स्वाभिमानी तिरंगे का इतिहास एवं इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य जानते है ? अगर नहीं तो आइए आज आपको बताते है हमारे स्वाभिमानी तिरंगे से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य :-

1. भारत ने अपना पहला राष्ट्रीय गैर – आधिकारिक ध्वज सन्1857 में अपनाया था जो कि सामान्यतः कुछ इस तरह दिखाई देता था ।

यह ध्वज ब्रिटिश सरकार के द्वारा जारी किया गया था एवम् यह भारत का पहला गैर आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज माना जाता है।


2. इसके बाद कुछ बदलाव करके भारत के दूसरे राष्ट्रीय ध्वज को 7 अगस्त 1906 को कोलकाता  में फहराया गया , यह ध्वज कुछ इस प्रकार का था ।

3. तीसरा राष्ट्रीय ध्वज पेरिस में मैडम कामा एवम् कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था इस ध्वज में ऊपर  की पट्टी में लगे सात तारे भारत के सप्त ऋषियों को दर्शाते है । यह ध्वज 1907 में फहराया गया था ।

4. भारत का चौथा राष्ट्रीय ध्वज 1917 में एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा एक घरेलू शासन आंदोलन के वक्त फहराया गया । यह ध्वज कुछ निम्न प्रकार से दिखता था ।

5. भारत का पांचवा राष्ट्रीय ध्वज एक आंध्र प्रदेश के युवक ने महात्मा गांधी को 1921 में कांग्रेस कमेटी के विजयवाड़ा अधिवेशन में भेंट किया था । यह ध्वज केवल लाल एवम् हरी पट्टी से बना हुआ था मगर गांधी जी के सुझाव के बाद इसमें एक सफेद पट्टी एवम् चलता हुआ चरखा जोड़ा गया जो कि शांति एवम् राष्ट्र प्रगति को दर्शाते थे ।यह ध्वज निम्न प्रकार का दिखाई देता था ।

6. भारत का अगला ध्वज 2 अप्रैल 1931को एक सात  सदस्यों की कमेटी द्वारा आधिकारिक रूप से जारी किया गया । इस ध्वज का निर्माण पिंगली वेंकैया जी द्वारा किया गया । यह ध्वज निम्न प्रकार से दिखाई देता था । 

7. अब वर्ष 22 जुलाई 1947 में हमारे अभिमानी ध्वज को अपना अंतिम रूप मिलने वाला था इस ध्वज में बस चलते हुए चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को लगाया गया एवम् इसका सुझाव एक क्रांतिकरी महिला ने दिया था ।

8. इस ध्‍वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्‍पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता।

9. इस ध्‍वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्‍त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक फहराया जाना चाहिए।

10. किसी अन्‍य ध्‍वज या ध्‍वज पट्ट को हमारे ध्‍वज से ऊंचे स्‍थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्‍वज को वंदनवार, ध्‍वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया

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