बिहार (Bihar) की नई महागठबंधन (Mahagathbandhan) की सरकार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को पांच बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह आरजेडी (RJD) के चुनावी घोषणापत्र में बिहार की जनता से किए गए वादे हैं. बिहार में सबसे बड़ी समस्या रोजगार (Employment) और पलायन की है. इसके अलावा, महंगाई,स्वास्थ्य, शिक्षा समेत और भी कई बुनियादी समस्याएं हैं. विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने की भी चुनौती है।
महागठबंधन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवाओं का रोजगार उपलब्ध कराने की होगी. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव विपक्ष में रहते हुए सत्ता में आने पर 10 लाख नौकरियां पैदा करने का वादा दृढ़ता के साथ करते रहे हैं. उनके इस वादे पर नीतीश कुमार को गुस्सा आता था और वे तेजस्वी की बात को हवा-हवाई बताकर तंज मारते थे.
बेरोजगारी भत्ते की चुनौती
दूसरी बड़ी चुनौती युवाओं को बेरोजगारी भत्ता उपलब्ध कराने की है. आरजेडी के घोषणा पत्र में बेरोजगार युवाओं को सत्ता में आने पर 1500 रुपये हर महीने बेरोजगारी भत्ता देने का चुनावी वादा किया गया था.
सरकारी नौकरी में आरक्षण की चुनौती
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के सामने तीसरी बड़ी चुनौती सरकारी नौकरियों में बिहार के युवाओं के आरक्षण की होगी. तेजस्वी यादव के कई चुनावी वादों में से एक यह भी है. वह कहते रहे हैं कि उनकी सरकार में नौकरियों में बिहार के युवाओं का आरक्षण 85 फीसदी होगा. यही नहीं, तेजस्वी के वादे के मुताबिक, संविदा प्रथा को खत्म कर कर्मचारियों को स्थाई करने की भी चुनौती है.
किसानों की कर्जमाफी की चुनौती
चौथी चुनौती अन्नदाताओं से जुड़ी है. तेजस्वी यादव कहते आए हैं कि उनकी सरकार बनने पर किसानों को कर्ज माफ कर दिया जाएगा. लगभग हर राज्य में हर पार्टी किसानों की कर्जमाफी अपने चुनावी वादों में शामिल करती है लेकिन इसे पूरी तरह से अंजाम देने पाना आसान नहीं होता है.