सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) को पहले से ही नीतीश कुमार के फैसले का पूरा अंदाजा था
तब ऐसी खबरें आई थीं, लेकिन पार्टी सूत्रों का अब कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने नीतीश के हर ऐक्शन को आराम से हो जाने दिया। इसके पीछे पार्टी की भविष्य की रणनीति मानी जा रही है। कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी चाहती थी कि नीतीश एकबार फिर से पलटें और उनके इस कदम से उनकी छवि को और बट्टा लगे, जिसके लिए वह अब काफी मशहूर हो चुके हैं!
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के बड़े नेता दो दिनों से चीख-चीख कर भाजपा पर गंभीर आरोप लगा रहे थे। केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था। मीडिया की ओर से कहा जा रहा था कि बस एनडीए में टूट की औपचारिकता बाकी रह गई है। नीतीश कुमार और सोनिया गांधी के बीच फोन पर डील होने की खबरें आ रही थीं। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी शीर्ष स्तर पर अपने पुराने सहयोगी को रोकने की कोशिश करते जरा भी नजर नहीं आई। इसके पीछे बीजेपी नेताओं की सोची-समझी रणनीति सामने आ रही है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वजह ये है कि भाजपा का साथ छोड़ने का नीतीश का कदम ‘विश्वासघात’ माना जाएगा और बार-बार पलटने की वजह से उनकी ‘विश्वसनीयता खत्म’ हो चुकी है।
भाजपा सूत्रों का यह भी कहना है कि बीजेपी के बड़े नेताओं ने नीतीश कुमार से कोई संपर्क नहीं किया। जबकि, उन्हें सबकुछ पता था, लेकिन उन्हें रोकने की कोई कोशिश ही नहीं की गई। भाजपा सूत्र का कहना है कि ऐसा इस वजह से हुआ, क्योंकि बीजेपी को पक्का यकीन है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने का मंसूबा पाले बैठे हैं और इसलिए पार्टी (भाजपा) उन्हें 2024 के आम चुनाव में विपक्ष के अगुवा के तौर पर बेहतर विकल्प के रूप में देख रही है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने क्या कहा था.
NDTV को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा भी है कि प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल होने से उन्हें कौन रोक सकता है? वे बोले कि भाजपा ने तो गठबंधन धर्म का पालन किया है और उसकी मर्यादा को निभाया है। जब हमारे एमएलए उनसे कहीं ज्यादा थे, तब भी उन्हें सीएम बनाया और उन्हें खरीद-फरोख्त दिख रहा है। मतलब, भाजपा सूत्र और गिरिराज सिंह जैसे बड़े नेता की बातों में समानता देखी जा सकती है।
source: oneindia.com