भारत के नए उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़ ने राजनीति में आकर पहली बार 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप नियुक्ति ने सभी को चौंका दिया था और अब देश के नए उपराष्ट्रपति के रूप में उनके निर्वाचन ने भी सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है।
कल हुए चुनाव में उन्हें 528 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपनी मौजूदा भूमिका से पहले 71 वर्षीय धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील थे. उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के रूप में धनखड़ के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा था कि धनखड़ लगभग तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं. इसके साथ ही, उन्होंने जाट नेता को ‘किसान पुत्र’ बताया था. दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पिछली अखिल भारतीय बैठक भी धनखड़ के गृह जिले झुंझुनू में हुई थी. अपने समय के अधिकतर जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से प्रभावित थे. उस समय युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की थी
जगदीप धनखड़ को क्रिकेट से भी है प्यार
केन्द्र में कुछ दिनों के लिए संसदीय कार्य मामलों के कनिष्ठ मंत्री रह चुके धनखड़ को उनका यह अनुभव राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन का संचालन करने में मददगार साबित होगा. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, जब धनखड़ छठी कक्षा में थे, तब वह चार-पांच किलोमीटर पैदल चलकर एक सरकारी स्कूल जाते थे. क्रिकेट प्रेमी होने के साथ-साथ उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर भी रहा है. धनखड़ के उपराष्ट्रपति चुने जाने का तात्पर्य यह है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पीठासीन अधिकारी अब राजस्थान से होंगे, जहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है. राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है.
किसान परिवार से आते है जगदीप ढंकह
राजस्थान में झुंझुनू जिले के एक सुदूर गांव में किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की. भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली. धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और देश के उच्चतम न्यायालय, दोनों में वकालत की. 1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय कार्य मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
1993 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा पहुंचे. धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ तथा राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।