हिन्दू धर्म में क्रिया-कर्म का खास महत्व है। चाहे इंसान जन्म ले या फिर इस संसार को चढ़कर जाये। हिन्दू धर्म में प्राचीन समय से ही ऋषि-मुनियों और विद्वानों ने कई परंपराएं बनाई गई हैं जिनका पालन करना काफी हद तक अनिवार्य बताया गया है। हमारे जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद की भी हमसे जुड़ी कुछ परंपराएं होती हैं जिनका पालन हमारे परिवार वालों को करना पड़ता है।
अस्थियां नदी में क्यों करते है प्रवाहित:
हमारे शास्त्रों में माना गया है कि अस्थियों को जल में प्रवाहित करने से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है क्योंकि हमारा यह शरीर पंच तत्वों से बना माना गया है और अग्रि में दाह संस्कार होने के बाद जल में अस्थियां प्रवाहित करने के बाद शरीर पंच तत्व में विलीन हो जाता है।
अस्थियों में फास्फोरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जो खाद के रूप में भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायक है। इसलिए जल में अस्थियां प्रवाहित करने से कृषि में फायदा होगा।